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Jharkhand Portal, Ranchi | May 27, 2025

पंचायत सहायकों की गुहार – बकाया दें, बंद पंचायत भवन खुलवाएं!

राजधानी रांची में पंचायत सहायकों की आवाज़ गूंज उठी, जब उन्होंने सरकार के सामने अपनी कई वर्षों से लंबित समस्याओं और मांगों को मजबूती से रखा। "बोले रांची" कार्यक्रम में पंचायत स्तर के इन कर्मियों ने बताया कि कैसे वे जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाएं लागू कर रहे हैं, फिर भी खुद बुनियादी सुविधाओं और मान-सम्मान से वंचित हैं।

⇒ मुख्य समस्याएं जिन पर पंचायत सहायकों ने ध्यान दिलाया:

1. बकाया राशि का भुगतान हो:

झारखंड के हजारों पंचायत सहायकों को पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है, जिससे उनका आर्थिक संतुलन बिगड़ गया है। उन्होंने 2021 से लेकर 2025 तक की प्रोत्साहन राशि भी अब तक न मिलने पर नाराजगी जाहिर की।

2. पंचायत भवनों की दुर्दशा:

राज्य के कई जिलों में 90% से अधिक पंचायत भवन बंद पड़े हैं। इन सहायकों को अक्सर पेड़ों के नीचे या खेत के किनारे बैठकर काम करना पड़ता है। उन्होंने मांग की कि पंचायत भवनों की मरम्मत कर उन्हें तत्काल चालू किया जाए।

3. डिजिटल काम के लिए संसाधनों का अभाव:

सहायकों को सरकारी पोर्टल पर प्रमाण पत्रों और योजनाओं से जुड़े कार्य करने होते हैं, लेकिन स्मार्टफोन, इंटरनेट भत्ता या कंप्यूटर जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दी गई हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है, तो फील्ड वर्करों को डिजिटल टूल्स भी मुहैया कराए।

 4. स्वास्थ्य और यात्रा सुविधा का अभाव:

पंचायत सहायक न तो किसी स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल हैं और न ही उन्हें कार्य क्षेत्र में आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता दिया जाता है। कई बार उन्हें अपने निजी खर्च से पंचायत मुख्यालय तक आना पड़ता है।

5. मृत सहायकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति:

2016 से अब तक जिन पंचायत सहायकों की सेवा के दौरान मृत्यु हो चुकी है, उनके परिवारों को अब तक कोई सहायता या नौकरी नहीं दी गई है। संघ ने मांग की कि ऐसे मामलों में अनुकंपा के आधार पर त्वरित नियुक्ति दी जाए।

 6. प्रमाण पत्र प्रक्रिया में सुधार:

जाति, आय, निवास, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों की प्रक्रिया में कई बार तकनीकी गलतियां हो जाती हैं। सहायकों ने सुझाव दिया कि आवेदन में एक चेकलिस्ट पेज जोड़ा जाए, ताकि आवेदन की गुणवत्ता बनी रहे।

✅ JharkhandPortal की राय:

झारखंड में पंचायत सहायक ग्रामीण प्रशासन की रीढ़ हैं। अगर उन्हें उचित संसाधन, सम्मान और वेतन नहीं मिलेगा, तो ग्राम स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन धीमा हो जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह जल्द इन मांगों पर विचार करे और पंचायत सहायकों की भूमिका को मजबूत बनाए।